Friday, May 24, 2019

बीजेपी से लें सबक

एक तरह से बीजेपी में ऊपर से आक्रामक राष्ट्रवाद है. मर्दवादी राष्ट्रवाद है लेकिन ये भी सच है कि मोदी ने कहा कि वो महिलाओं के मुद्दे को उठा रहे हैं. गैस सिलिंडर दे रहे हैं. स्वच्छ भारत कर रहे हैं.
क्या आप कांग्रेस का कोई ऐसा उदाहरण दे सकते हैं जहां वो कह सकें कि ये मुद्दा कल का है, हम इसे लेकर चलेंगे?
कांग्रेस का घोषणापत्र बहुत अच्छा था. लेकिन घोषणापत्र को आप चुनाव के दो महीने पहले जारी करते हैं.
भारतीय मतदाता मज़बूत सुप्रीम कोर्ट और मजबूत निर्वाचन आयोग के महत्व को समझता है लेकिन अगर ये संस्थाएं मज़बूत नहीं हैं तो इनका दोषी किसे ठहराया जा रहा है? लोग इसके लिए नरेंद्र मोदी को दोषी नहीं ठहरा रहे हैं. वो इसके लिए भारत के बुद्धिजीवी वर्ग को दोषी ठहरा रहे हैं. वो मानते हैं कि ये वर्ग इतना बिकाऊ हो गया है कि उसे ख़त्म कर सकते हैं.
आप कह सकते हैं कि सरकार का सुप्रीम कोर्ट पर दबाव है लेकिन ये प्रश्न तो उठता ही है कि जिस संस्थान के पास इतनी शक्तियां थीं वो संस्था अगर अंदर से ख़त्म हो रही है और स्वायतत्ता रखने वाले शैक्षणिक संस्थान ख़त्म हो रहे हैं तो उसका पहला दोष किसको जाएगा? उसका दोष संस्थान के पुराने अभिजात्य वर्ग पर होगा.
अगर आप जनता से जाकर कहें कि सुप्रीम कोर्ट सरकार की तरफ़दारी कर रहा है तो वो पहला सवाल ये पूछेंगे कि इतने समर्थ जज अगर सरकार की चापलूसी कर रहे हैं तो इसमें सरकार को दोषी क्यों ठहरा रहे हैं?
भारतीय समाज का आज का संकट ये है कि पुराने दौर के अभिजात्य (इलीट) वर्ग की विश्वसनीयता बिल्कुल ख़त्म हो गई है. मोदी बड़ी होशियारी से वही संकेत देते हैं. लुटियन्स दिल्ली, ख़ान मार्केट गैंग.
आप मज़ाक कर सकते हैं कि ऐसा कोई गैंग नहीं है लेकिन वो इस बात का सूचक बन गया है और लोगों के मन में ये घर कर गया है कि भारत का जो उच्च मध्यम वर्ग है, वो इतना बिकाऊ है कि अगर ये संस्थाएं ख़त्म हो रही हैं तो इसका दोष मोदी को नहीं इन संस्थाओं को जाना चाहिए.
मीडिया के लिए दोष किसको दें? मोदी को दें या उन संस्थाओं के मालिकों को दें?
जब ये कहा जाता है कि पत्रकारिता निष्पक्ष थी निडर थी तब सवाल होता है कि कहां निष्पक्ष और निडर थी. वो निष्पक्षता के नाम पर पुरानी व्यवस्था को कायम रखना चाहती थी. मैं नहीं कहता कि ये बात सही है या ग़लत है लेकिन जनता यही कह रही है.
हमें इस बात का जवाब देना होगा कि हमारे समाज में क्या ऐसी परिस्थिति हो गई कि लोगों पर उनके झूठ का कम प्रभाव होता है और जो भी उस झूठ को उजागर करता है, उसके बारे में माना जाता है कि इसका कोई स्वार्थ है.
ये सही है कि जहां भी सत्ता एक व्यक्ति के हाथ में आती है, उसके ख़तरे होते हैं. प्रजातंत्र में वो अच्छा नहीं होता.
भारतीय जनता पार्टी सिर्फ़ एक राजनीतिक पार्टी नहीं है. ये एक सामाजिक समीकरण भी है. इनका एक सांस्कृतिक एजेंडा है. ये कहा करते थे कि अल्पसंख्यको का हिंदुस्तान की राजनीति में एक वीटो था जिसे हम अल्पसंख्यकों को बिल्कुल अप्रासंगिक कर देंगे. ये इनकी विचारधारा में निहित है. आज मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व बिल्कुल नहीं के बराबर हो गया है.
राम जन्मभूमि आंदोलन के समय से जो पार्टी का हार्डकोर धड़ा है, वो सवाल करेगा कि अगर अब आपने हिंदुत्व विचारधारा को स्थापित नहीं किया संस्थाओं में तो कब करेंगे? इससे बड़ी जीत क्या हो सकती है?
ये दबाव आएगा तो मुझे नहीं लगता कि मोदी इसे रोकेंगे या पीछे हटेंगे. इसी चुनाव में देखा गया है कि मानक बिल्कुल गिरते जा रहे हैं. दस साल पहले क्या कोई कल्पना करता था कि प्रज्ञा ठाकुर बीजेपी की स्टार उम्मीदवार होंगी. उनकी जीत पर आज जश्न मनाया जा रहा है. ये एक तरह का ज़हर है जिसे आप दोबारा बोतल में नहीं डाल सकते हैं.
बहुसंख्यकवाद के ख़तरे इस चुनाव में बड़ी स्पष्ट रूप से उभरकर आए हैं.
ये चुनाव उन परिस्थितियों में हुआ जहां भारत की आर्थिक व्यवस्था उतनी सुदृढ़ नहीं है जितना प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं. वास्तविक ग्रोथ रेट चार या साढ़े चार प्रतिशत है. बेरोज़गारी की समस्या है.
कृषि क्षेत्र में संकट है. इस सबके बाद भी अगर जनता ने इन्हें वोट दिया है तो यही निष्कर्ष निकलता है कि वो मज़बूत नेता चाहते थे. दूसरा आज हम उस स्थिति में पहुंच गए हैं जहां बहुसंख्यकवाद का बहुसंख्यकों पर ज़्यादा असर नहीं पड़ता है. वो समझते हैं कि हमें कोई क्या कर लेगा. ये भारतीय लोकतंत्र का बड़ा नाजुक मोड़ है.
नता ने अपना फ़ैसला दे दिया है तो कहा जा सकता है कि ये लोकतंत्र की जीत है. लेकिन ये उदारता की जीत नहीं है. ये संवैधानिक मूल्यों की जीत नहीं है.
(होना ये चाहिए कि) हम ऐसा भारत बनाएं जहां हर व्यक्ति चाहे वो किसी भी जाति या समुदाय का हो, उसे ये ख़तरा नहीं रहे कि मैं जिस समुदाय से आता हूं, उसकी वजह से मुझे कोई ख़तरा है.

Thursday, May 9, 2019

بوينغ تعترف بأنها كانت على علم بوجود عطب في نظم طائرة 737 ماكس

أقرت شركة بوينغ بأنها كانت على علم بمشكلة في نُظم طائراتها ذات الطراز 737 ماكس قبل عام من تعرض طائرتين من ذات الطراز لحادثين مروعين، لكنها رغم ذلك لم تتخذ إجراء.
وقالت الشركة إنها عن غير عمد جعلت من خاصية ما للإنذار أمرا خياريا بدلا من أن يكون معياريا، لكنها أصرت على أن ذلك لم يكن يمس أمان الرحلات.
وتوقفت كل طائرات 737 ماكس عن التحليق في مارس/آذار بعد تحطم طائرة الخطوط الجوية الإثيوبية ومقتل 157 شخصا كانوا على متنها.
وتُعرف الخاصية التي تحدثت عنها بوينغ باسم "تحذير اختلاف زاوية الهجوم" وكانت هذه الخاصية مُصمَمة لإخبار الطيارين بالأمر عندما يشير مستشعران مختلفان إلى بيانات متضاربة.
وقالت الشركة إنها كانت تنوي توفير الخاصية بشكل معياري، لكنها لم تدرك حتى ظهرت العواقب أن ذلك كان ليُتاح فقط لو أن الخطوط الجوية اشترت مؤشرا اختياريا.
وأضافت بوينغ أنها عمدت إلى التعامل مع المشكلة في تحديث لاحق للبرمجيات.
وأكدت الشركة أن مشكلة البرمجيات "لم تؤثر بشكل سلبي على سلامة الطائرة أو تشغيلها".
وقالت إدارة الطيران الفيدرالية الأمريكية لوكالة رويترز للأنباء إن بوينغ لم تخبرها بشأن البرمجيات إلا في نوفمبر/كانون الأول 2018، بعد شهر من وقوع حادث تحطم طائرة ليون أير.
وقالت إدارة الطيران الفيدرالية إن الأمر كان ذا "خطورة منخفضة" لكن بوينغ كان يمكن أن تساعد في "تفادي ارتباك محتمَل" لو أنها أخبرت في وقت مبكر.
وحُدِّدت زاوية طيران الطائرة كأحد أسباب كارثتَي تحطم الطائرتين. وقالت بوينغ
ورغم الحظر الذي فرضته شركة فيسبوك، فإنها تعرضت لانتقادات لأنها أعطت تحذيرا مبكرا لمن تأثروا بالحظر، ما وفر لهم الفرصة لتوجيه أتباعهم إلى وسائل تواصل أخرى.
وتمكن أليكس جونز من بث مقطع مصور على فيسبوك تحدث فيه عن الحظر الوشيك له لمدة قصيرة، يوم الخميس.
كما كتب يانوبولوس لأتباعه على موقع إنستغرام: "إنني على وشك التعرض لحظر، من فضلكم أضيفوا أسماءكم على قائمة بريدي الإلكتروني قبل أن يختفي هذا الحساب".
وقال متحدث باسم فيسبوك إن الحظر سيطبق على كل أنشطة هؤلاء الأشخاص على فيسبوك وإنستغرام.
وأضافت الشركة أنها ستحذف كل الصفحات والجماعات والحسابات التي أطلقت على مواقعها لتمثل هؤلاء الأشخاص ولن تسمح بترويج الأحداث التي يشارك فيها هؤلاء الأشخاص المحظورون عندما تعلم بذلك.
وفي رسالة بريد إلكترونية أوضحت شركة فيسبوك أسباب حظرها لهؤلاء المستخدمين.
وقالت الشركة إن أليكس جونز استضاف في برنامجه غافين ماكينز، زعيم جماعة "براود بويز" التي يعرف أعضاؤها بالعنصرية والعداء للمسلمين، وبأسلوب خطابي كاره للمرأة.
وقالت الشركة إن ميلو يانوبولوس امتدح علنا هذا العام كلا من السيد ماكينز، ومؤسس مجموعة "دفينس ليغ" تومي روبنسون، وهما من المحظورين أصلا على مواقع الشركة.
وقالت فيسبوك إن لورا لومار ظهرت بصحبة ماكينز، وامتدحت هي الأخرى الكندية فيث غولدي، وهي شخصية محظورة على موقع الشركة من قبل.
وأضافت الشركة أن زعيم جماعة "أمة الإسلام" لويس فارخان حُظر أيضا لأنه أصدر عدة تصريحات معادية للسامية هذا العام.
إن البيانات المتضاربة لزاوية الهجوم كانت تُنقَل إلى نظام تعزيز خصائص المناورة  ، وهو نظام مضاد للهبوط يخضع للفحص منذ حادثتَي تحطم الطائرتين.
وتعكف بوينغ على تطوير برمجيات جديدة لنظام تعزيز خصائص المناورة.
حظرت شركة فيسبوك عددا من الشخصيات البارزة تعتبرها "شخصيات خطيرة" من استخدام منصاتها الاجتماعية.
واتهمت فيسبوك الأمريكي أليكس جونز، مالك موقع "انفوورز" الإلكتروني المعروف بتبني نظرية المؤامرة من وجهة نظر اليمين المتطرف، والبريطاني بول جوزيف واتسن، رئيس تحرير الموقع نفسه، والمسؤول التحريري السابق لموقع "بريتبارت"، ميلو يانوبولوس، بسبب خطاب الكراهية.
وستحظر الشبكة أيضا لويس فارخان، زعيم جماعة "أمة الإسلام" الذي عبر سابقا عن وجهات نظر معادية للسامية.
وكانت شركة فيسبوك قد حظرت جماعات بريطانية معادية للإسلام مثل "بريطانيا أولا"، من استخدام منصاتها الاجتماعية.
ويمتد هذا الحظر لهؤلاء الأشخاص إلى موقع "انستغرام" أيضا، الذي تملكه شركة فيسبوك.
وقالت الشركة في بيان لها: "نحن نحظر دائما الأشخاص والمؤسسات التي تروج أو تنخرط في أعمال عنف وكراهية، بصرف النظر عن التوجهات أو الأفكار التي تقبع وراء تلك الأعمال".
وأضافت شركة فيسبوك في بيانها: "إن عملية تقويم المنتهكين المحتملين تخضع لإجراءات شاملة، وهذا ما دفعنا إلى اتخاذ قرارنا بإزالة هذه الحسابات اليوم".
ويشمل الحظر أيضا بول نهلين، المناصر لعنصرية أصحاب البشرة البيضاء، و لورا لومار، وهي ناشطة ضد الإسلام ولها حضور كبير على مواقع التواصل الإجتماعي.
وكانت لومار قد قيدت يديها بالأغلال في مبنى موقع تويتر في مدينة نيويورك الأمريكية، احتجاجا على حظرها من استخدام الموقع، وكان ذلك في شهر نوفمبر/تشرين الثاني الماضي.